महाकुंभ 2025: निरंजनी अखाड़े ने आपसी सद्भाव का उदाहरण पेश किया, मुस्लिम बैंडबाजे करेंगे शाही जुलूस का नेतृत्व

प्रयागराज में महाकुंभ 2025 की तैयारियां जोरों पर हैं, और शनिवार (4 जनवरी) को निरंजनी अखाड़े की भव्य पेशवाई यानी छावनी प्रवेश शोभायात्रा के साथ इसकी शुरुआत एक ऐतिहासिक सांस्कृतिक संगम से होगी। अल्लापुर स्थित बाघंबरी मठ से निकलने वाली इस पेशवाई में धर्म, आध्यात्म और सांप्रदायिक सद्भाव के साथ कला और संस्कृति के कई रंग देखने को मिलेंगे।
मुस्लिम समुदाय के कलाकार पेशवाई में निभाएंगे अहम भूमिका
इस शोभायात्रा की खासियत यह है कि इसमें शामिल डेढ़ दर्जन से अधिक बैंड पार्टियों के कलाकारों में से अधिकतर मुस्लिम समुदाय से हैं। निरंजनी अखाड़े के सचिव और श्री महंत रवींद्र पुरी जी महाराज ने बताया कि पेशवाई के जरिए न केवल धार्मिक परंपराओं को आगे बढ़ाया जाएगा, बल्कि एकता और भाईचारे का भी संदेश दिया जाएगा। यह आयोजन उस विचार को मजबूत करता है कि अलग-अलग धर्मों और समुदायों के लोग एकजुट होकर भारतीय संस्कृति का हिस्सा बन सकते हैं।
पेशवाई का अनूठा दृश्य
शोभायात्रा में सबसे आगे भगवान कार्तिकेय की पालकी होगी, जिसके पीछे नागा संत भभूत धारण किए हुए अस्त्र-शस्त्र लहराते हुए चलेंगे। हाथी, घोड़े और ऊंटों पर सवार नागा संत सनातन धर्म की पताका को लहराएंगे। इसके साथ ही अखाड़े के पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर कैलाशानंद सरस्वती जी विशाल रथ पर सवार होकर श्रद्धालुओं को दर्शन देंगे।
कलाकारों और संस्कृति का संगम
देश के अलग-अलग हिस्सों से बुलाए गए कलाकार इस पेशवाई में अपनी कला का प्रदर्शन करेंगे। बैंड पार्टियों की धुनों से लेकर नागा साधुओं की पारंपरिक वेशभूषा और प्रदर्शन तक, यह शोभायात्रा भारतीय संस्कृति की विविधता और भव्यता का प्रतीक बनेगी।
पुष्प वर्षा और सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम
शोभायात्रा के दौरान विभिन्न स्थानों पर संतों और कलाकारों का पुष्प वर्षा के साथ स्वागत किया जाएगा। मेला क्षेत्र में यात्रा के दौरान सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं, जिससे कार्यक्रम सुचारू रूप से संपन्न हो सके।
गैर सनातनियों की घर वापसी का आयोजन
महंत रवींद्र पुरी ने इस महाकुंभ के दौरान सैकड़ों गैर सनातनियों की घर वापसी कराने की भी घोषणा की। उन्होंने बताया कि ये लोग अपनी स्वेच्छा से सनातन धर्म में वापसी करेंगे। उन्होंने धर्मांतरण को लेकर इस्लामिक धर्मगुरु मौलाना शहाबुद्दीन बरेली के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि यह कट्टरपंथी ताकतों द्वारा फैलाया गया झूठ है।
महाकुंभ 2025 का यह आयोजन केवल एक धार्मिक उत्सव नहीं है, बल्कि यह भारत की सांस्कृतिक और सामाजिक एकता को मजबूत करने का प्रयास है। निरंजनी अखाड़े की पेशवाई इस महाकुंभ को एक नई दिशा और पहचान देने के लिए तैयार है।