
नई दिल्ली।दिल्ली का चुनाव परिणाम आने के 10 दिनों के बाद जिस तरह एक महिला मुख्यमंत्री के रूप में रेखा गुप्ता को कमान देने का निर्णय लिया, उसने यह संकेत दे दिया है कि भाजपा इस ऐतिहासिक जीत को अभी से ठोस आधार देने में जुट गई है। जोश को ठंडा होने का पूरा वक्त दिया गया और फिर जाट, पंजाबी, वैश्य, पूर्वांचली के जाल को काटते हुए महिला को आगे कर पूरे देश को संदेश दिया गया। एक तरीके से पार्टी के अंदर भी नेताओं की प्रतिस्पर्धा को खत्म कर दिया गया। पिछले कुछ दिनों से जितनी चर्चा संभावित मुख्यमंत्री को लेकर हो रही थी, उतनी ही बहस इस बात पर भी थी की आखिर इतनी देर क्यों? क्या पेच है? हालांकि, दिल्ली के प्रभारी बैजयंत जय पांडा चुनाव परिणाम आने के साथ ही कह चुके थे कि 10 दिनों में नया मुख्यमंत्री मिलेगा। आम आदमी पार्टी के समय में भी एक महिला मुख्यमंत्री बनाई तो गई थी, लेकिन उसे अस्थायी भी करार दे दिया गया था। यह सच है कि मंत्रिमंडल में जातिगत और क्षेत्र गत फॉमूर्ला साधा जाएगा। लेकिन चेहरा न्यूट्रल लेकिन प्रभावी रखने की कोशिश हुई है। यह भी एक संयोग है कि रेखा गुप्ता हरियाणा के जींद से आती है। राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में भाजपा ने मुख्यमंत्री चुनाव में चौंकाया था। लेकिन यह संदेश भी दिया था कि पार्टी में बड़ा चेहरा होना सब कुछ नहीं है। कर्मठ कार्यकर्ता होना बहुत कुछ है, जो बिना अभिमान पार्टी नेतृत्व के सोच को जमीन तक पहुंचा पाए, पहले दिन से। रेखा गुप्ता को यह साबित करना पड़ेगा।