हाथरस में अवैध तरीके से संचालित आरा मशीन बनी हरियाली की दुश्मन, सकंट से जीवन अस्त व्यस्त

वेलकम इंडिया
जितेन्द्र कुमार हाथरस। जिले में हरी लकड़ी का कटान रुकने का नाम नहीं ले रहा है। लकड़ी काटने के सक्रिय ठेकेदार लकड़हारा मजदूरों से हरे पेड़ों का कटान कराकर जिले की विभिन्न टालों और आरा मशीनों पर भेज रहे है। शहर की सबसे नामचीन बड़ी टाला और आरा मशीन चामड गेट के नाम से जानी जाती है। यहां के संचालक “काले” भाई साहब के नाम से जाने जाते हैं। इनकी चावड गेट पर लकड़ी की टाल बहुत लंबाई चौड़ाई की जगह में फैली हुई है। यहां पर अलग-अलग जगह पर लकड़ी के चट्टान लगे हुए हैं। सवाल यह उठता है कि जब लकडियों का कटान नहीं हो रहा है तो रोजाना बड़े स्तर पर लकड़ी इन टालो पर कहां से आती है। कई बार ट्रैक्टर व छोटा हाथी अन्य वाहनों में नीम की लकड़ी देखी गई है। लेकिन यहां के अधिकारी को सूचना देकर भी बताए जाने पर वह अन्य किसी पेड़ की लकड़ी को बताकर टाल देते हैं। लकड़ी कटान के माफियाओं का लिंक सीधा वन विभाग कार्यालय से जुड़ा हुआ है। जिले में लकड़ी का कटान शहर के मथुरा रोड, इगलास अड्डा से इगलास रोड, सासनी चौराहे से अलीगढ़ रोड, बिजली मील कॉटन से मेंडू सिकंद्राराऊ रोड़ और कैलोरे चौराहे से महौ, मुहब्बत पुरा जलेसर वाले रोड, चामड गेट से लाड़पुर जलेसर रोड, तालाब चौराहे से आगरा रोड और कोटा कपूरा आदि इन सभी क्षेत्रों में लकड़ी का कटान होता है। लकड़ी कटान के ठेकेदार लकड़हारा मजदूरों से हरे पेड़ों को कटवाकर बगीचे में ही डाल देते हैं। और जब वह सूख जाते हैं तो उन्हें आरा मशीनों को भेज दिया जाता है। दिन सहित भोर सुबह और देर शाम व रात्रि में लकड़ी के वाहन लकड़ी से लादकर जाते हैं। जिनको कभी-कभी पन्नी और तिरपाल से ढांककर लकड़ी लेकर वाहन गुजरते हैं। अवैध आरा मशीनों के संचालन में सुप्रीम कोर्ट द्वारा रोक लगाए जाने के बाद भी वन विभाग के अधिकारी और थाना पुलिस अवैध आरा मशीनों को नहीं बंद करा रहे हैं यदि अवैध आरा मशीनों को बंद कर दिया जाए तो लाखों से अधिक की काली कमाई में बाधा उत्पन्न होगी जिससे वन विभाग के अधिकारी अवैध आरा मशीनों पर कार्यवाही करने को तैयार नहीं दिख रहे हैं जिले के विभिन्न क्षेत्र में कई दर्जन से अधिक अवैध आरा मशीनों का संचालन प्रतिदिन विभागीय संरक्षण में हो रहा है अवैध तरीके से संचालित आरा मशीन को स्थानीय थाना पुलिस का भी संरक्षण मिलता है इन आरा मशीनों के संचालन के लिए हरे फलदार पेड़ की लकड़ियों को लकड़ी माफिया द्वारा बेखौफ तरीके से काटकर आरा मशीनों में प्रतिदिन पहुंचाया जा रहा है ना तो पेड़ के कटान का परमिट लिया जाता है और ना ही लकड़ी को इधर-उधर ले जाने के लिए ट्रांजिट परमिट लिया जाता है नियमों की बात करें तो हरे पेड़ के कटान का परमिट मिल ही नहीं सकता है। लेकिन फिर भी बेखौफ तरीके से जिले के तीन दर्जन से अधिक लकड़ी माफिया सैकड़ो मजदूरों के साथ प्रतिदिन विभिन्न क्षेत्रों में हरे पेड़ों के कटान में लगे रहते हैं इतनी बड़ी संख्या में लकड़ी माफिया मजदूरों के साथ पेट्रोलिंग आरा मशीन लेकर हरे फलदार पेड़ को काटने में लगे होने के बावजूद वन विभाग से लेकर पुलिस तक कार्यवाही के नाम पर केवल औपचारिकता निभाती रह जाती है।