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सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट को दी अस्थायी न्यायाधीशों की नियुक्ति की अनुमति

नई दिल्ली। देश में लंबित मुकदमों को निपटाने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी पहल की है। उच्च न्यायालयों में लंबित 18 लाख से अधिक आपराधिक मामलों के मद्देनजर सुप्रीम कोर्ट ने सभी हाई कोर्ट को तदर्थ (अस्थायी) न्यायाधीशों की नियुक्ति की गुरुवार को अनुमति दे दी। सुप्रीम कोर्ट ने तदर्थ न्यायाधीशों की नियुक्ति पर अपने पूर्व के फैसले में लगाई गई शर्तों में ढील दी है। संविधान का अनुच्छेद 224ए के तहत हाई कोर्टों में सेवानिवृत्त जजों को तदर्थ न्यायाधीश के तौर पर नियुक्ति करने का प्रविधान है।ं प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना, जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस सूर्यकांत की विशेष पीठ ने कहा, प्रत्येक हाईकोर्ट दो से पांच तदर्थ न्यायाधीशों की नियुक्ति कर सकते हैं। यह कुल स्वीकृत संख्या के 10 प्रतिशत से अधिक नहीं होनी चाहिए। तदर्थ न्यायाधीश हाई कोर्ट के मौजूदा न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पीठ में बैठेंगे और लंबित आपराधिक अपीलों पर फैसला करेंगे।पीठ ने तदर्थ न्यायाधीशों की नियुक्ति पर शीर्ष अदालत के पूर्व के फैसले में लगाई गई कुछ शर्तों में ढील दी। अप्रैल, 2021 में सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के सेवानिवृत्त जजों को दो से तीन साल की अवधि के लिए तदर्थ के रूप में नियुक्त करने का निर्देश दिया गया था। अदालत ने कहा था कि यदि हाई कोर्ट में स्वीकृत संख्या के 80 प्रतिशत जज होने पर तदर्थ न्यायाधीशों की नियुक्ति नहीं की जा सकती है। शीर्ष अदालत ने एक एनजीओ की याचिका पर यह फैसला सुनाया। याचिका में विभिन्न हाई कोर्टों में लंबित मामलों की समस्या के समाधान की मांग की थी। तदर्थ न्यायाधीशों की नियुक्ति पर मेमोरेंडम आॅफ प्रोसीजर के मुद्दे पर पीठ ने कहा कि यह पहले से ही मौजूद है। इसे लागू किया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने तदर्थ न्यायाधीशों को पीठों पर अलग से बैठने की शर्त को भी स्थगित कर दिया। कहा कि तदर्थ जज हाई कोर्ट के मौजूदा न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली खंडपीठ का हिस्सा होंगे।

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