रमजानुल मुबारक महीने के पहली शब-ए-कद्र की रात आज

वेलकम इण्डिया
सिद्धार्थनगर। रमजानुल मुबारक का आखिरी असरा शुक्रवार की रात से शुरू हो जाएगा। जो पहली शब ए कद्र है। इस्लाम में रमजान का महीना बहुत ही रहमतों व बरकत वाला है। इसके आखिरी असरे की दस रातों में पांच रात 21, 23, 25, 27 व 29 वीं शब ए कद्र की है। इसमें एक रात लैलतुल कद्र है, जो बहुत ही खैर व बरकत की है। कुरान ए पाक में इसे बहुत ही अफजल बताया गया है।
शुक्रवार की रात पहली शब ए कद्र है। इस रात क्षेत्र की मस्जिदों व घरों में अकीदतमंद पूरी रात जागकर कुरान ए पाक की तिलावत, नमाज, कुरान और हदीस का जिक्र आदि इबादत करेंगे। इसमें शब ए कद्र में की गई इबादत का अलग ही महत्व है। ऐसा मानना है कि खुशनसीब लोगों को ही इस रात की इबादत का मौका मिलता है। इसके बदले में अल्लाह अपने बंदों पर बेशुमार रहमत फरमाता है। हदीस के अनुसार इस्लाम के आखिरी पैगंबर हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने देखा कि उनकी उम्मत से पहले की उम्मत की उम्र बहुत अधिक होती थी। ऐसे में नेक अमल में उनकी उम्मत काफी पीछे रह जाएगी। यह सोचकर वह बहुत चिंतित थे। इसके बदले अल्लाह ने अपने नबी की उम्मत को यह रात दी है। इस रात इबादत करके यह उम्मत हजारों साल की इबादत की बराबरी कर सकती है। इन रातों का महत्व यह है कि कुरान ए पाक को रमजान की शब ए कद्र में उतारा गया है।सिद्धार्थनगर नगरपालिका के आजाद नगर मोहल्ले में स्थित छोटी जामा मस्जिद के इमाम मौलाना व हाफिज मोहम्मद सलमान अमजदी ने बताया कि हदीस के अनुसार नबी ए करीम ने फरमाया है कि जो इंसान लैलतुल कद्र की रात ईमान के साथ नेकी पाने के लिए इबादत करता है तो उसके पिछले सभी गुनाह माफ कर दिए जाते हैं। इस इबादत में नमाज, कुरान की तिलावत, कुरान व हदीस का जिक्र करने की हिदायत दी गई है। हदीस इब्ने माजा में हजरत अनस फरमाते हैं कि तुम्हारे ऊपर एक महीन आया है, जिसकी एक रात हजार रातों से भी अफजल है। हदीस मिशकात बुखारी के अनुसार हजरत आयशा फरमाती हैं कि लैलतुल कद्र की तलाश रमजान माह की पांच शब ए कद्र की रातों में करो।