15 साल पुराने एसपी ट्रैफिक पर जानलेवा हमले के मामले में तीन सिपाही और एक ऑटो चालक को 10-10 साल की सजा

वेलकम इंडिया/चरन सिंह
बरेली। हाईवे पर उगाही करते हुए पकड़े जाने के बाद तत्कालीन एसपी ट्रैफिक कल्पना सक्सेना की हत्या की कोशिश के 15 साल पुराने मामले में एंटी करप्शन कोर्ट के स्पेशल जज सुरेश कुमार गुप्ता ने दोषियों को कड़ी सजा सुनाई। अदालत ने सिपाही रावेंद्र सिंह, रविंद्र सिंह, मनोज कुमार और उनके मददगार ऑटो चालक धर्मेंद्र को दोषी करार देते हुए 10-10 साल की कैद और 50-50 हजार रुपये का जुमार्ना लगाया। मामले में 14 गवाहों की गवाही के आधार पर यह फैसला सुनाया गया। कल्पना सक्सेना वर्तमान में गाजियाबाद पुलिस कमिश्नरेट में एडिशनल कमिश्नर के पद पर तैनात हैं, तत्कालीन एसपी ट्रैफिक कल्पना सक्सेना ने इस मामले में थाना कैंट में रिपोर्ट दर्ज कराई थी। सरकारी वकील मनोज वाजपेयी और अभियोजन अधिकारी विपर्णा शर्मा ने अदालत में मजबूती से पक्ष रखा। अभियोजन के अनुसार, 2 सितंबर 2010 को कल्पना सक्सेना को सूचना मिली थी कि ट्रैफिक पुलिस के कुछ सिपाही थाना कैंट क्षेत्र में फरीदपुर रोड मजार के पास हाईवे पर ट्रकों को रोककर अवैध वसूली कर रहे हैं। वह शाम 5:15 बजे अपनी सरकारी गाड़ी से मौके पर पहुंचीं तो देखा कि कई ट्रक सड़क किनारे खड़े थे और मजार के पास एक सफेद मारुति कार खड़ी थी, जिसमें कुछ लोग बैठे थे और कुछ बाहर खड़े थे। कल्पना सक्सेना अपने हमराह और ड्राइवर के साथ ट्रकों की आड़ लेकर कार के पास पहुंचीं। उन्होंने देखा कि कार की पिछली सीट पर सिपाही रविंद्र और रावेंद्र बैठे थे। जैसे ही उनकी नजर कल्पना सक्सेना पर पड़ी, उन्होंने ड्राइविंग सीट पर बैठे सिपाही मनोज को गाड़ी से कुचलकर भागने को कहा। कल्पना सक्सेना जब आगे बढ़ीं तो मनोज ने गाड़ी स्टार्ट कर उनके ऊपर गाड़ी चढ़ाने की कोशिश की।