हनुमान जन्मोत्सव पर बीके शर्मा हनुमान ने ली जूना अखाड़े के पीठाधीश्वर अवधेशानंद गिरि से दीक्षा

वेलकम इंडिया
गाजियाबाद। आदिशक्ति की प्रतिरूप माता अंजनी के दिव्य पुत्र, पवनपुत्र हनुमान जी के महाशुभ अवतरण दिवस पर एक ऐतिहासिक और आध्यात्मिक क्षण साक्षी बना, जब ब्रह्मऋषि विभूति बीके शर्मा हनुमान ने जूना अखाड़े के पीठाधीश्वर, अनंत श्री विभूषित आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि जी महाराज के चरणों में स्वयं को पूर्ण रूप से समर्पित करते हुए आध्यात्मिक दीक्षा प्राप्त की। यह दिव्य दीक्षा हरिद्वार की पावन धरती पर स्थित कनखल क्षेत्र के श्री हरिहर आश्रम में संपन्न हुई। बीके शर्मा हनुमान ने मां गंगा का पुण्यस्नान कर उन्हें साक्षी मानकर आत्मसमर्पण का संकल्प लिया और ब्रह्मऋषि ब्राह्मण महासभा के पीठाधीश्वर के रूप में अपने नए आध्यात्मिक जीवन का आरंभ किया। बीके शर्मा हनुमान ने बताया कि स्वामी अवधेशानंद गिरि महाराज केवल भारत के ही नहीं, बल्कि समस्त विश्व के लिए एक आध्यात्मिक प्रकाशस्तंभ हैं। वे भारतीय संत परंपरा के गौरवस्वरूप, दार्शनिक, लेखक और आत्मबोध कराने वाले एक ऐसे वक्ता हैं, जिनके प्रवचनों से न केवल साधु-संत समाज बल्कि आम जनमानस भी प्रेरणा ग्रहण करता है। स्वामी अवधेशानंद गिरि महाराज का जूना अखाड़े में पीठाधीश्वर का पद उन्हें एक लाख से अधिक नागा साधुओं का मार्गदर्शक बनाता है। वे अब तक करीब दस लाख से अधिक नागा साधुओं को दीक्षा दे चुके हैं और धर्म, साधना व सेवा के त्रिकोण में संत समाज को संगठित करने का अविरल कार्य कर रहे हैं। उनके प्रवचन केवल वाणी की मधुरता नहीं, अपितु आचरण की शुद्धता और चेतना की गहराई से श्रोताओं को भीतर तक स्पर्श करते हैं। हनुमान जन्मोत्सव के इस पावन दिन दीक्षा लेकर बीके शर्मा हनुमान ने न केवल स्वयं के आध्यात्मिक जीवन का एक नया अध्याय प्रारंभ किया, बल्कि समाज के लिए भी एक प्रेरणादायी संदेश दिया कि जब समर्पण पूर्ण होता है, तभी साधना सिद्ध होती है। यह संकल्प, यह समर्पण और यह दीक्षा, समूचे संत समाज और सनातन संस्कृति के लिए एक अत्यंत गौरवशाली क्षण बनकर उभरा।