संभल पुलिस चौकी मामले में ओवैसी के साथ खड़े हुए मौलाना, वक्फ संपत्ति पर दी प्रतिक्रिया

उत्तर प्रदेश के संभल में शाही जामा मस्जिद के सामने बन रही पुलिस चौकी को लेकर विवाद जारी है। एआईएमआईएम के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने आरोप लगाया है कि यह निर्माण वक्फ बोर्ड की जमीन पर हो रहा है और इसे अवैध बताया है। इस पर सहारनपुर के मौलाना कारी इसहाक गोरा ने ओवैसी के दावे का समर्थन करते हुए अपनी राय व्यक्त की।
मौलाना कारी इसहाक गोरा ने कहा, “संभल में पुलिस चौकी का निर्माण यदि वक्फ की संपत्ति पर हो रहा है, तो यह उचित नहीं है। वक्फ की संपत्ति को पवित्र माना जाता है और इसका उपयोग शिक्षा, स्वास्थ्य या जनहित के कार्यों में होना चाहिए। अगर यह जमीन वक्फ की है, तो इसे किसी अन्य उद्देश्य के लिए इस्तेमाल करना अल्लाह के आदेशों का उल्लंघन होगा।”
उन्होंने यह भी जोड़ा कि, “वक्फ की संपत्ति का गलत इस्तेमाल या उस पर निर्माण करना अल्लाह के साथ अन्याय करने के बराबर है। मैं सभी से अपील करता हूं कि ऐसी संपत्ति का उपयोग सही दिशा में किया जाए।”
ओवैसी ने उठाए सवाल, प्रशासन ने किया खंडन
इस विवाद पर ओवैसी ने दावा किया कि जामा मस्जिद के पास बन रही पुलिस चौकी वक्फ की जमीन पर है। उन्होंने प्राचीन स्मारक अधिनियम का हवाला देते हुए कहा कि संरक्षित स्मारकों के आसपास निर्माण प्रतिबंधित है। ओवैसी ने इस संबंध में जमीन के दस्तावेज भी सोशल मीडिया पर साझा किए और प्रशासन से जवाब मांगा।
दूसरी ओर, संभल के जिलाधिकारी डॉ. राजेंद्र पेंसिया ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि पुलिस चौकी का निर्माण पूरी तरह से वैध है और यह किसी वक्फ की संपत्ति पर नहीं हो रहा। उन्होंने स्पष्ट किया कि प्रशासन सभी कानूनी प्रक्रियाओं का पालन कर रहा है।
मौलाना ने रखी अपनी राय
मौलाना कारी इसहाक गोरा ने कहा कि सुरक्षा के लिए चौकियां जरूरी हो सकती हैं, लेकिन जहां तक वक्फ की संपत्ति का सवाल है, उसका दुरुपयोग नहीं होना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि ऐसे विवादों को सौहार्दपूर्ण ढंग से सुलझाना चाहिए ताकि किसी भी पक्ष की भावनाओं को ठेस न पहुंचे।
इस मुद्दे पर अभी भी अलग-अलग राय है, लेकिन यह विवाद प्रशासन और धार्मिक समुदायों के बीच संवाद की आवश्यकता को दर्शाता है। वहीं, ओवैसी के बयान और मौलाना के समर्थन ने इस मामले को और भी चर्चा में ला दिया है।