आध्यात्म

अध्यात्म पीठ पर महाप्रभु वल्लभाचार्य प्राकट्योत्सव

वेलकम इंडिया

मथुरा। श्रीमद्भागवत कथा आयोजन समिति के तत्वावधान में शुद्वाद्वैत पुष्टिमार्ग प्रवर्तक महाप्रभु वल्लभाचार्य का प्राकट्योत्सव समारोह भक्ति व श्रद्धा के साथ परंपरागत रूप से अध्यात्म पीठ पर मनाया गया । सर्वप्रथम ब्रज वल्लभ लाल के पंचामृत महाभिषेक, पुष्पार्चन के उपरांत महाप्रभु वल्लभाचार्य की चित्राम छवि का पूजन अर्चन वैदिक मंत्रोच्चारण के मध्य उपस्थित विद्वतजनों व वैष्णवजनों ने किया। तत्पश्चात उत्तरीय, माल्यार्पण कर मंगल दीप प्रज्वलित किया । अध्यक्षता करते हुए समिति संस्थापक पंडित अमित भारद्वाज ने कहा कि महाप्रभु के जीवन में 84 के अंक का अजब संयोग है । महाप्रभु द्वारा अल्प समय में 84 ग्रंथों की रचाना, 84 बैठक जहां उन्होंने जन कल्याणार्थ श्रीमद्भागवत का परायण किया । 84 कोस ब्रज यात्रा का श्रेय का श्रेय भी उन्हीं को है। दक्षिण भारत के मूल निवासी, उत्तर भारत के चंपारण्य में जन्म व कर्म क्षेत्र ब्रज रहा। अध्यात्म पीठ के पीठाधीश्वर आचार्य पूर्णप्रकाश कौशिक महाराज ने कहा कि महाप्रभु द्वारा प्रदत्त पुष्टिमार्ग में आराध्य के प्रति वात्सल्य व समर्पण का भाव होता है। महाप्रभु बाल्यकाल से ही कुशाग्र बुद्धि थे। मात्र 10 वर्ष की अवस्था में राजा कृष्णदेव राय की विद्वत सभा में विजयश्री प्राप्त कर उनका कनकाभिषेक होना इस बात का प्रमाण है । अल्प आयु में ही आपने सांख्य, वेद पुराण, उपनिषद, दर्शन, गणित आदि अध्ययन कर लिया । समिति अध्यक्ष पं. शशांक पाठक ने कहा अग्निवर्तुल से प्रकट हुए इसलिए उनको अग्नि का अवतार भी माना जाता है । अपने आराध्य की भक्ति में लीन होकर वह स्वयं भगवद स्वरूप हो गए । गोष्ठी में जीवन दर्शन पर विचार प्रकट करने वालों में सुमंत कृष्ण शास्त्री ,आचार्य शिवओम गौड़ शास्त्री, संजय पिपरौनिया, श्रीनिवास शास्त्री , हरिशंकर शास्त्री देवेंद्र पुरोहित, आचार्य नंदकिशोर , हिमांग कौशिक, मुकुंद पाराशर आदि ने विचार प्रकट किए ।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button