आध्यात्म

महाकुंभ 2025: 27 जनवरी को धर्म संसद, सनातन बोर्ड के गठन और वक्फ बोर्ड खत्म करने की उठेगी मांग

प्रयागराज महाकुंभ में अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने 27 जनवरी को धर्म संसद आयोजित करने का ऐलान किया है। यह धर्म संसद सेक्टर 17 में प्रसिद्ध कथा वाचक देवकीनंदन ठाकुर के पंडाल में होगी। धर्म संसद में दो अहम मुद्दों पर चर्चा की जाएगी। पहला, देश में सनातन बोर्ड का गठन और दूसरा, मुसलमानों के वक्फ बोर्ड को समाप्त करने की मांग।

संत-महात्माओं की उपस्थिति, राजनीति को दूर रखा जाएगा
इस धर्म संसद में सभी अखाड़ों के पीठाधीश्वर, महामंडलेश्वर, और अलग-अलग संप्रदायों के प्रमुख संत-महात्माओं को बुलाया जाएगा। खास बात यह है कि इस आयोजन में राजनीति और संघ से जुड़े किसी भी व्यक्ति को आमंत्रित नहीं किया गया है। गोरक्ष पीठाधीश्वर और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की व्यस्तता को ध्यान में रखते हुए उन्हें भी आमंत्रित नहीं किया गया है।

धर्म संसद के लिए बनी पांच सदस्यीय समिति
धर्म संसद के आयोजन के लिए अखाड़ा परिषद ने पांच सदस्यीय समिति गठित की है। इसमें परिषद के अध्यक्ष महंत रवींद्र पुरी, आनंद अखाड़ा के पीठाधीश्वर बालकानंद गिरि, जूना अखाड़े के वरिष्ठ महामंडलेश्वर स्वामी यतींद्रानंद गिरि, उदासीन अखाड़े के हरि चेतनानंद जी और कथा वाचक देवकीनंदन ठाकुर शामिल हैं।

सनातन बोर्ड और वक्फ बोर्ड पर संतों की मांग
अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रवींद्र पुरी और स्वामी यतींद्रानंद गिरि ने कहा कि देश में सनातन बोर्ड का गठन बेहद जरूरी हो गया है। साथ ही, वक्फ बोर्ड को खत्म करना भी उतना ही आवश्यक है, क्योंकि यह अब “जमीन कब्जा बोर्ड” बन गया है।

संतों का कहना है कि इस धर्म संसद के जरिए वे आस्था के इस महाकुंभ से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार से दक्षिणा के रूप में अपनी ये मांगें रखना चाहते हैं। उन्हें भरोसा है कि केंद्र की मोदी सरकार, जिसने अब तक संतों के विश्वास को बनाए रखा है, उनकी इन मांगों को पूरा करेगी।

संतों ने उम्मीद जताई है कि जल्द ही केंद्र सरकार सनातन बोर्ड के गठन का औपचारिक ऐलान करेगी। धर्म संसद को लेकर महाकुंभ में संतों और श्रद्धालुओं के बीच विशेष उत्साह का माहौल है।

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