उप समिति की समीक्षा बैठक में विभागों में चल रही सरकारी योजनाओं की ली जानकारी

वेलकम इंडिया
गाजियाबाद। उत्तर प्रदेश की विकास यात्रा को और तेज गति देने की दिशा में गुरुवार को एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए प्राक्कलन समिति वर्ष 2024-25 की प्रथम उप समिति की समीक्षा बैठक का आयोजन दुर्गावती देवी सभागार, विकास भवन में किया गया। इस उच्च स्तरीय बैठक की अध्यक्षता प्रदेश विधान सभा के प्राक्कलन समिति के सभापति और वरिष्ठ विधायक माननीय श्री अमित अग्रवाल ने की। बैठक में समिति के सदस्यगण शाहिद मंजूर, डॉ. मंजू शिवाच, रवेन्द्र पाल सिंह, और विधायक संजीव शर्मा सहित जिले के शीर्ष अधिकारी उपस्थित रहे। सभापति अमित अग्रवाल का विकास भवन आगमन सम्मानपूर्वक गार्ड आॅफ आॅनर से हुआ, जिसके बाद जिलाधिकारी दीपक मीणा ने पुष्पगुच्छ भेंट कर सभी अतिथियों का स्वागत किया। बैठक के दौरान राजस्व, नगर निगम, गाजियाबाद विकास प्राधिकरण, आवास-विकास, जल निगम, स्वास्थ्य, सिंचाई, पर्यटन, यूपीएसडीआईसी, डूडा, नगर निकाय, समाज कल्याण, विद्युत विभाग सहित अन्य प्रमुख विभागों की योजनाओं, बजटीय प्रावधानों और कार्यान्वयन की प्रगति की समीक्षा की गई। सभापति ने स्पष्ट शब्दों में कहा, प्राक्कलन समिति का दायित्व केवल आंकड़ों की समीक्षा नहीं, बल्कि यह सुनिश्चित करना है कि हर योजना धरातल पर उतरे और हर एक रुपये का सदुपयोग हो। उन्होंने विभागीय अधिकारियों को निर्देशित किया कि उनके पास प्रत्येक परियोजना, विकास कार्य और भूमि उपयोग का स्पष्ट, अद्यतन एवं समग्र विवरण होना चाहिए। भूमि की स्थिति, निर्माण कार्यों, अधूरी योजनाओं और बजट के उपयोग की पारदर्शिता पर विशेष जोर दिया गया। श्री अग्रवाल ने कहा कि कार्यपालिका और विधायिका गाड़ी के दो पहिए हैं। दोनों का समन्वय विकास की गति को सुनिश्चित करता है। जब सभी अधिकारी अपने दायित्वों को ईमानदारी और जिम्मेदारी के साथ निभाएंगे, तभी उत्तर प्रदेश उत्तम प्रदेश की दिशा में तेजी से अग्रसर होगा। बैठक में एक प्रगति पुस्तिका भी प्रस्तुत की गई, जिसमें अब तक के निरीक्षण, संस्तुतियाँ और आगामी कार्ययोजनाएं शामिल थीं। इस पुस्तिका के माध्यम से समिति ने सभी विभागों की कार्यशैली का समग्र मूल्यांकन किया और आगे की रूपरेखा तय की। बैठक के समापन पर जिला प्रशासन गाजियाबाद की ओर से सभापति व अन्य सदस्यों को स्मृति चिन्ह और पटका पहनाकर सम्मानित किया गया। यह बैठक उत्तर प्रदेश की नीतिगत जवाबदेही और प्रशासनिक पारदर्शिता की दिशा में एक सार्थक प्रयास के रूप में याद की जाएगी, जहां केवल विकास की योजनाएं नहीं बनीं, बल्कि उनके धरातलीय क्रियान्वयन के लिए एक नई कार्य संस्कृति की नींव भी रखी गई।