गृहमंत्री शाह ने कहा- डेयरी सेक्टर से हो सकता है गांव से पलायन की समस्या का समाधान

नई दिल्ली। केंद्रीय गृह व सहकारिता मंत्री अमित शाह ने डेयरी (दुग्ध उत्पादन) सेक्टर के विकास को गांव से पलायन की समस्या का अहम विकल्प बताया। गृहमंत्री शाह ने डेयरी सेक्टर के लिए दुग्ध उत्पादन के अलावा गोबर प्रबंधन, चारा प्रबंधन, मरे हुए पशुओं के अवशेषों के प्रबंधन के साथ-साथ कार्बन क्रेडिट का लाभ किसानों तक पहुंचाने के लिए सहकारिता मॉडल के आधार पर वैज्ञानिक बनाने की जरूरत पर बल दिया। उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाली अधिकांश आबादी सीमांत किसानों की है और उन्हें समृद्ध बनाने के लिए गांव से ग्लोबल की यात्रा, समूह से सफलता का विश्वास और फार्म से फैक्ट्री तक पूरी श्रृंखला विकसित करना जरूरी है। दिल्ली में आयोजित ‘डेयरी क्षेत्र में सस्टेनेबिलिटी और सर्कुलरिटी पर कार्यशाला’ का उद्घाटन करते हुए गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि सहकारिता क्षेत्र में सक्रिय डेयरी में उपभोक्ता से आने वाले पैसे का 75 फीसद हिस्सा किसानों के पास जाता है, जबकि कॉरपोरेट क्षेत्र में सक्रिय डेयरियों में किसानों को 32 फीसद ही जाता है। उन्होंने देश के हर किसान के लिए इस अंतर को कम करने की जरूरत पर बल दिया। उन्होंने कहा कि फिलहाल डेयरी सेक्टर में 23 राज्यस्तरीय सहकारिता संघ सक्रिय हैं, श्वेत क्रांति-दो में इसे सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों तक पहुंचाना होगा। इसी तरह से मौजूदा 28 मार्केटिग करने वाली डेयरियों की संख्या तीन गुना बढ़ाने होगी। उन्होंने देश के 80 फीसद जिलों को डेयरी सहकारिता से जोड़ने का लक्ष्य दिया। बायोगैस योजना को मिले बढ़ावा सहकारिता डेयरी से जुड़े किसानों से गोबर खरीदकर बायोगैस के उत्पादन के लिए किये गए समझौतों का स्वागत करते हुए उन्होंने कहा कि इसमें उन किसानों को भी शामिल करना होगा, जो सहकारिता से जुड़े डेयरी को दूध नहीं बेचते हैं। सभी किसानों को गोबर खरीद से जोड़ने से बायोगैस बनाने की योजना को बढ़ावा मिलेगा और किसानों को भी इसका फायदा होगा। इसी तरह से उन्होंने सहकारिता से साथ निजी डेयरियों में दूध सप्लाई करने वाले सभी किसानों से मृत पशुओं के हड्डी, चमड़े जैसे अवशेषों को खरीदने और उन्हें बड़े उद्योगों के बेचने का तंत्र विकसित करने पर भी जोर दिया। इससे निजी डेयरी की ओर जा रहे किसानों को सहकारिता डेयरी से जोड़ने में मदद मिलेगी। उन्होंने राष्ट्रीय डेयरी डवलपमेंट बोर्ड और नाबार्ड को डेयरी क्षेत्र में उपयोग होने वाली सभी मशीनों के शत- प्रतिशत उत्पादन भारत में करने के लिए जरूरी कदम उठाने को कहा।