सच्ची तौबा से खुलते हैं रहमत के दरवाजे: मुफ़्ती महमूद आलम

वेलकम इंडिया,
टाण्डा जिला रामपुर।बुधवार की रात नगर के मोहल्ला इमामबाड़ा स्थित मस्जिद मआरिफ में एक रूहानी और इस्लाही जलसे का इनइकाद किया गया। जलसे का आगाज मशहूर कारी मंसूर अहमद की पुरअसर तिलावत-एकलाम-ए-पाक और कारी जुल्फिकार की पुरखुलूस नात-ए-पाक से हुआ, जिसने मजलिस को नूरानी बना दिया। जलसे से खिताब करते हुए इमाम-एशहर मौलाना मु़μती महमूद आलम ने तौबा की अहमियत पर तफसीली रोशनी डालते हुए फरमाया कि इंसान खता का पुतला है, लेकिन अल्लाह की जात बड़ी करीम और रहीम है। अगर कोई गुनाह हो जाए तो उसे छोड़कर सच्चे दिल से अल्लाह की बारगाह में रुजू करें, शर्मिंदगी का इजहार करें और पुख्ता इरादा करें कि दुबारा इस गुनाह की तरफ न जाएंगे। उन्होंने फरमाया कि अल्लाह की रहमत उसके गजब पर भारी है और सच्चे दिल से की गई तौबा को वह कुबूल करता है। मु़μती साहब ने आगे कहा कि हुकूकुल्लाह (अल्लाह के हुकूक) तो तौबा से माफ हो जाते हैं, मगर हुकूकुल इबाद (बंदों के हुकूक) सिर्फ़ वही शख़्स माफ करेगा जिसके साथ ज्यादती की गई हो। उन्होंने लोगों को नसीहत करते हुए कहा कि किसी को हकीर या जलील मत समझो, क्या पता उसका अल्लाह से कैसा ताल्लुक हो। जलसे की सदारत मौलाना मोहम्मद रिजवान ने की, जबकि निजामत के फराइज मौलाना अजहद ने अंजाम दिए। इस मौके पर मौलाना मुबीन अहमद, मौलाना शरीफ अहमद, मौलाना कासिम, मशहूर शायर व अदीब जाहिद टांडवी, मौलाना काशिफ, मौलाना फिरासत, कारी नफासत,सईद रहमानी,अहसान उल हक, कारी शाहिद, हाजी जमील, हाजी फुरकान और मौलाना अब्दुल रब समेत दीगर मजहबी और समाजी शख्सियात मौजूद रहीं।