टीबी उन्मूलन अभियान: 100 दिन में 6242 मरीज चिन्हित

वेलकम इंडिया
गाजियाबाद। आईएमए यूपी स्टेट के सचिव डा. आशीष अग्रवाल ने बताया कि टीबी केवल फेफड़ों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह सिर से लेकर पैर तक शरीर के किसी भी हिस्से को प्रभावित कर सकती है। इस बीमारी का पता मरीज को जांच के बाद ही चलता है। टीबी के इलाज में लापरवाही खतरनाक साबित हो सकती है, जिससे हर तीसरे मरीज की मौत हो रही है। आईएमए भवन में सोमवार को आयोजित प्रेसवार्ता में मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. अखिलेश मोहन ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर पिछले दिनों 100 दिन का रोगी खोज अभियान चलाया गया था। इस अभियान के दौरान 7,97,869 संदिग्धों की स्क्रीनिंग की गई, जिसमें 6242 मरीजों में टीबी की पुष्टि हुई। वर्तमान में जिले में करीब 15 हजार मरीजों का उपचार चल रहा है, जिनमें 650 एमडीआर मरीज शामिल हैं। डा. मोहन ने बताया कि टीबी से बचाव और इलाज में सबसे जरूरी है समय पर रोगी की पहचान और संपूर्ण उपचार। 95 प्रतिशत मरीज पूरी दवा लेने से ठीक हो जाते हैं, लेकिन दवा बीच में छोड़ने पर मरीज एमडीआर (मल्टी ड्रग रजिस्टेंट) स्थिति में पहुंच सकता है, जो घातक हो सकती है। इसलिए जरूरी है कि सरकारी और निजी चिकित्सकों के सहयोग से मरीजों का सही इलाज किया जाए। सरकारी स्तर पर नि:शुल्क जांच और दवा की सुविधा दी जा रही है। 100 दिन के कार्यक्रम की सफलता के बाद अब संवेदनशील क्षेत्रों में विशेष मॉनिटरिंग अभियान शुरू किया जाएगा, जिससे टीबी उन्मूलन को गति मिल सके। इस अवसर पर आईएमए यूपी स्टेट के अध्यक्ष निर्वाचित डा. राजीव गोयल, कोषाध्यक्ष डा. वाणी पुरी, कोर्डिनेटर डा. विश्वबंधु जिंदल, सह सचिव डा. नवनीत वर्मा, गाजियाबाद उपाध्यक्ष डा. प्रहलाद चावला और सचिव डा. सार्थक केसरवानी सहित अन्य चिकित्सक उपस्थित रहे।