शहर-राज्य

बरेली का नेशनल क्लीन एयर प्रोग्राम के तहत चयन होने के बावजूद सड़कों पर उड़ रही धूल!

वेलकम इंडिया

चरन सिंह / बरेली। वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए बरेली शहर की सड़कों पर नगर निगम मशीनों से पानी का छिड़काव करा रहा है लेकिन इसमें अनदेखी की जा रही है। छिड़काव सिर्फ सुबह के समय किया जा रहा है, जबकि दोपहर बाद शाम तक धूल उड़ती रहती है। जानकारी के अनुसार शहर में नेशनल क्लीन एयर प्रोग्राम पर हर साल 20 से 28 करोड़ रुपये खर्च हो रहे हैं। इस प्रोग्राम के तहत नगर निगम कुछ मार्गों पर एंटी स्मॉग डस्ट गन के जरिए पानी का छिड़काव करा रहा है। इसके अलावा मैकेनिकल स्वीपिंग से भी सड़कों की सफाई की जा रही है लेकिन छिड़काव अपनी सुविधा के अनुसार किया जा रहा है। पीलीभीत बाईपास पर सेटेलाइट से एयरपोर्ट तक सबसे अधिक वाहनों का आवागमन होता है, पर यहां पर छिड़काव नियमित नहीं होता है। वहीं चौकी चौराहे के पास सिर्फ सुबह के समय ही छिड़काव किया जाता है, जबकि जरूरत दोपहर के समय में होती है। इसी प्रकार पटेल चौक से चौकी चौराहा, चौपुला और बरेली कालेज गेट तक छिड़काव समय से नहीं किया जाता। वहीं जंक्शन से चौपुला पुल को जाने वाले मार्ग पर रेलवे गोदाम के पास सबसे ज्यादा धूल उड़ती है लेकिन इस पर न तो छिड़काव और न ही सफाई की जा रही है। वायु प्रदूषण के पांच साल तक लगातार बढ़ते हुए खतरनाक स्तर तक पहुंचने के बाद वर्ष 2019 में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने बरेली को नॉन-अटेनमेंट शहरों की श्रेणी में चिह्नित किया था। इसी के बाद आईआईटी कानपुर की टीम यहां अध्ययन करने पहुंची थी। उसके उत्सर्जन और स्रोत आधारित अध्ययन में भी कहा गया था कि सड़कों पर उड़ने वाली धूल बरेली में प्रदूषण के सबसे बड़े स्रोतों में से एक है। कूड़ा जलाने के साथ उद्योगों और यातायात से उत्सर्जित धुआं भी प्रमुख कारण बताया गया था। आईआईटी कानपुर की रिपोर्ट के आधार पर कई और योजनाओं को लागू करने के साथ पांच साल के लिए बरेली का चयन नेशनल क्लीन एयर प्रोग्राम के तहत किया गया है। नेशनल क्लीन एयर प्रोग्राम यानी (एनकेप) के तहत आवंटित बजट से सड़कों की मैकेनिकल स्वीपिंग, एंटी स्मॉग डस्ट गन, वाटर स्प्रिंकलर, कंस्ट्रक्शन एंड डिमोलेशन प्लांट लगाने, पार्क और ग्रीन बेल्ट विकसित करने और उनके रखरखाव के लिए जरूरी उपकरण और वाहन खरीदने के लिए करने के निर्देश दिए गए हैं। इस बजट का उपयोग मुख्य चौराहों पर एयर प्यूरिफायर लगाने, सड़कों को गड्ढामुक्त करने, ज्यादा धूल वाली सड़कों पर पौधरोपण करने के साथ सोल्डर निर्माण, वर्टिकल गार्डन विकसित करने और जन जागरूकता कार्यक्रमों के लिए भी किया जाता है।

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