इंसानियत की मिशाल जेल अधीक्षक ने ठंड से बचाने के लिए गौ माताओं को पहनाया कंबल

वेलकम इण्डिया (असदुल्लाह सिद्दीकी)
सिद्धार्थनगर। जनपद के जिला कारागार अधीक्षक सचिन वर्मा द्वारा मंगलवार को पशुओं को कंबल पहनाने के कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस पहल का उद्देश्य सर्दी के मौसम में घुमंतू तथा गौशाला में रह रहे पशुओं को ठंड से राहत प्रदान करना था। कुल 72 पशुओं को कंबल का वितरण किया गया। कार्यक्रम के दौरान जेल अधीक्षक सचिन वर्मा ने समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी निभाने और पशुओं की देखभाल के प्रति जागरूकता बढ़ाने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि ऐसी गतिविधियां हमें मानवता और करुणा के मूल्य सिखाती हैं।
गौ सेवा: एक पावन कर्तव्य
भारतीय संस्कृति में गौ को माँ का स्थान दिया गया है। गौ केवल एक पशु नहीं है, बल्कि हमारी आस्था, परंपरा और अर्थव्यवस्था का केंद्र बिंदु है। गौ माता के प्रति प्रेम और सेवा केवल धार्मिक भावना तक सीमित नहीं है, बल्कि यह समाज और प्रकृति के प्रति हमारी जिम्मेदारी भी है।
सर्दियों के ठिठुरते मौसम में गौ माता को ठंड से बचाना एक संवेदनशील और महत्वपूर्ण कार्य है। ठंड के दिनों में जब लोग स्वयं के लिए ऊनी कपड़े और गर्म साधन जुटाते हैं, ऐसे में गौ माता, जो हमारी संस्कृति और कृषि का आधार हैं, उनके लिए ध्यान देना अनिवार्य हो जाता है। ठंड से गौ माता को बचाने के लिए कंबल वितरित करना न केवल मानवता का परिचायक है, बल्कि यह हमें गौ सेवा के माध्यम से आत्मिक संतोष भी प्रदान करता है।
गौशालाओं में जाकर या सड़क पर घूमती बेसहारा गायों को कंबल पहनाने का अनुभव हृदय को गहराई से छू जाता है। उन मासूम आंखों में आभार और प्रेम का जो भाव होता है, वह हर किसी को प्रेरित करता है। कंबल ओढ़ते समय गायों का हल्के से सिर झुकाना और उनकी आँखों की चमक हमें यह एहसास कराती है कि हमने वास्तव में उनके लिए कुछ महत्वपूर्ण किया है।
यह कार्य न केवल गौ माता की रक्षा करता है, बल्कि समाज को यह संदेश भी देता है कि हम अपने पर्यावरण और जीव-जंतुओं के प्रति संवेदनशील हैं। यदि हर व्यक्ति अपने जीवन में गौ सेवा का संकल्प ले और सर्दी के मौसम में गायों के लिए कंबल, भोजन, और आश्रय की व्यवस्था करे, तो यह न केवल हमारी नैतिकता को बढ़ावा देगा, बल्कि पर्यावरणीय संतुलन में भी सहायक होगा।
गौ सेवा एक ऐसी साधना है, जिसमें व्यक्ति अपने स्वार्थ को पीछे छोड़कर प्रकृति और जीव-जगत की सेवा करता है। यह कार्य केवल हमारी आत्मा को शांति ही नहीं देता, बल्कि हमारी परंपराओं को भी मजबूत करता है। आइए, इस सर्दी हम सब मिलकर गौ माता की सेवा का संकल्प लें और उन्हें ठंड से बचाने के लिए अपने हिस्से की जिम्मेदारी निभाएं।
“गौ सेवा केवल धर्म नहीं, यह मानवता का सर्वोच्च उदाहरण है।
कार्यक्रम जेल कर्मी धीरज राय, नौमी लाल, मंसूर अहमद एवं अभिषेक पांडेय के सहयोग से सफलतापूर्वक संपन्न हुआ।