ओवैसी का चीन की बांध परियोजना पर हमला, केंद्र से सख्त सवाल पूछे

चीन ने ब्रह्मपुत्र नदी पर दुनिया का सबसे बड़ा बांध बनाने की परियोजना की योजना बनाई है, जिसे लेकर भारत ने अपनी गहरी चिंता व्यक्त की है। इस परियोजना की अनुमानित लागत लगभग 13.7 अरब अमेरिकी डॉलर है और इसे चीन हिमालयी क्षेत्र के संवेदनशील टेक्टोनिक प्लेट सीमा पर बना रहा है।
ओवैसी का केंद्र सरकार पर हमला
इस परियोजना को लेकर अब AIMIM के राष्ट्रीय अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने केंद्र सरकार पर तीखा हमला किया है। ओवैसी ने सोशल मीडिया पर सवाल उठाए और केंद्र से पूछा कि भारत सरकार की चीन को लेकर नीति क्या है? उन्होंने चीन द्वारा ब्रह्मपुत्र पर बनाए जा रहे बांध के मुद्दे को लेकर केंद्र सरकार की निष्क्रियता पर गंभीर चिंता जताई।
ओवैसी ने लिखा, “लद्दाख में चीन के नए जिलों का विरोध और ब्रह्मपुत्र पर बांध बनाने के बावजूद बीजिंग को कोई फर्क नहीं पड़ा। क्या भारत सरकार ने लद्दाख में अपने सैनिकों के गश्त के अधिकारों की बहाली की योजना बनाई है? क्या हमने पूर्वी लद्दाख में 2020 की यथास्थिति को पूरी तरह से छोड़ दिया है?”
सशस्त्र बलों की तैयारियों पर सवाल
ओवैसी ने आगे कहा, “नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद एक दशक हो गया है, लेकिन भारतीय सेना को आधुनिकीकरण और कठिन परिस्थितियों से निपटने के लिए जरूरी संसाधन नहीं मिल रहे हैं। भारतीय वायुसेना में घटती ताकत के कारण निराशा है, नौसेना को तीसरे विमानवाहक पोत की मंजूरी नहीं दी गई, और सेना में दो लाख सैनिकों की कमी है।”
चीन की सफाई
इस पर प्रतिक्रिया देते हुए, चीन ने अपनी परियोजना के लिए सफाई दी है। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गुओ जियाकुन ने कहा कि ब्रह्मपुत्र नदी पर बांध बनाने की प्रस्तावित परियोजना को गहन वैज्ञानिक सत्यापन से गुजरना पड़ा है। उन्होंने दावा किया कि इस जलविद्युत परियोजना के निर्माण का कोई नकारात्मक प्रभाव निचले देशों के पारिस्थितिकी तंत्र, भूविज्ञान या जल संसाधनों पर नहीं पड़ेगा।
भारत की चिंता बढ़ी
चीन की इस सफाई के बावजूद भारत में चिंता बनी हुई है, खासकर असम और अन्य पूर्वोत्तर राज्यों में जहां ब्रह्मपुत्र नदी का जल संसाधन बहुत महत्वपूर्ण है। भारत सरकार से उम्मीद की जा रही है कि वह इस मामले पर चीन से कड़ी बातचीत करेगी और भारत की जल सुरक्षा और पारिस्थितिकी तंत्र की रक्षा के लिए जरूरी कदम उठाएगी।