तिहाड़ प्रशासन ने चारों दोषियों से कहा था कि राष्ट्रपति के पास याचिका दाखिल नहीं की तो डेथ-वारंट की कार्यवाही शुरू कर दी जाएगी
निर्भया की मां ने बताया कि बेटी ने कहा था कि उन्हें जिंदा जला देना, देखिए 7 साल बाद भी न्याय का इंतजार है
दोषियों ने शुक्रवार को राष्ट्रपति के पास दया याचिका लगाने से पहले फिर सुप्रीम कोर्ट जाने का फैसला किया
नई दिल्ली (पवन कुमार). निर्भया गैंगरेप केस के दोषी मुकेश सिंह, अक्षय कुमार सिंह, विनय शर्मा और पवन कुमार को फांसी देने की तैयारी तिहाड़ जेल प्रशासन ने शुरू कर दी है। 7 साल बाद निर्भया की मां आशा देवी से विशेष बातचीत के मुख्य अंश।
सवाल : दोषियों को फांसी देने की
तैयारी शुरू, इस बारे
में क्या कहेंगी?
जवाब : 7 साल से न्याय के लिए संघर्ष चल
रहा है। पहले निचली कोर्ट, फिर
हाईकोर्ट और बाद में सुप्रीम कोर्ट। अब राष्ट्रपति मुहर लगाएंगे। जिस दिन चारों
दोषियों को फांसी होगी। उस दिन न्याय पूरा होगा। लेकिन घटना के 7 साल बाद भी गुनहगार जिंदा हैं।
सवाल : बेटी के दोस्त द्वारा पैसे लेकर
इंटरव्यू देने की बात पर क्या कहेंगी?
जवाब : जो लोग कह रहे हैं, वह 7 साल पहले भी यह बात जानते थे। 7 साल बाद जमीर जगाने का क्या
फायदा। इस बात को उठाने का क्या मतलब। इस बात पर मुझे कुछ नहीं कहनाहै।
सवाल : घटना के बाद आपके और परिवार में
क्या बदलाव आए?
जवाब : मैंने बेटी के नाम से एक ट्रस्ट
शुरू किया है। यह गैंगरेप पीड़ित लड़कियों की मदद करता है। इसके माध्यम से हम कई
पीड़िताओं को चिकित्सा और अन्य सहायता उपलब्ध कराने में कामयाब रहे हैं।
बेटी ने दर्द भरी आवाज में कहा था- उन्हें जिंदा जला देना
आशा देवी ने भावुक होते हुए कहा- मुझे आज भी बेटी की वो बातें याद आती हैं, जाे उसने घटना के तीसरे दिन अस्पताल में इलाज के दौरान मजिस्ट्रेट के सामने कही थीं। मैं बेटी के सिरहाने खड़ी थी। बयान के दौरान बेटी ने दर्दभरी आवाज में कहा था- ‘उन्हें छोड़ना मत। जिंदा जला देना। उन्हें कड़ी सजा देना। फिर किसी के साथ ऐसा न हो।’ ये बातें कभी तकलीफ देती हैं तो कभी न्याय की लड़ाई लड़ने का साहस।
निर्भया कांड के दोषी दया याचिका से पहले एक बार फिर सुप्रीम
कोर्ट जाएंगे
निर्भया
दुष्कर्म के दोषी राष्ट्रपति के पास दया याचिका लगाने से पहले फिर सुप्रीम कोर्ट
जाएंगे। शुक्रवार को तिहाड़ जेल में मुजरिमों और उनके वकीलों की मुलाकात में यह तय
हुआ। मुजरिमों के एक वकील ने कहा, ‘‘जेल के नोटिस पर बाद में अमल कर लेंगे। हमारे पास अभी
सुप्रीम कोर्ट जाने का विकल्प खुला है।’’ तिहाड़ प्रशासन ने 28 अक्टूबर को चारों दोषियों को नोटिस देकर कहा था
कि 7 दिन में
राष्ट्रपति के पास याचिका दाखिल नहीं की तो डेथ-वारंट की कार्यवाही शुरू कर दी
जाएगी। सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल जुलाई में ही चारों की पुनर्विचार
याचिकाएं खारिज कर दी थीं। लेकिन इन्होंने अभी तक राष्ट्रपति से दया की गुहार नहीं
लगाई है। यह इन लोगों के पास उपलब्ध आखिरी विकल्प है।